जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता | धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ( #ShreeGanesh Ji ki #Aarati )

श्री गणपतीची आरती ( Ganapatichi Aarati )

शेंदूर लाल चढायो अच्छा गज मुखको |
 दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहरको |
हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको |
महिमा काहे जाय लागत हुं पदको || ||

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता | धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता || धृ ||

अष्टौ सिद्धी दासी संकटको बैरी |
विघ्नविनाशक मंगल मुरत अधिकारी |
 कोटीसुरजप्रकाश ऐसी छबी तेरी |
गंडस्थलमदमस्तक झुले शशिबिहारी || जय || ||

 भावभगतसे कोई शरणागत आवे |
संतत संपत सबही भरपूर पावे |
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे |
गोसावीवंदन निशिदिन गुण गावे |

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता || धन्य || ||
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